ना हिन्दू बुरा है और ना ही मुसलमान बुरा है,
जो बुराई पे उतर आये वो इन्सान बुरा है !!
*"मुझे तैरने दे या फिर बहना सिखा दे,*
*अपनी रजा में अब तू रहना सिखा दे,*
*मुझे शिकवा ना हो कभी भी किसी से,*
*ऐ कुदरत...मुझे सुख और दुख के पार जीना सिखा दे...*
*"मेरा मजहब तो ये दो हथेलियाँ बताती है...*
*जुड़े* *तो* *"पूजा"*
*खुले तो "दुआ" कहलाती हैं...*
*मैं खुश हूँ कि कोई मेरी...*
*बात तो करता है....*
*बुरा कहता है तो क्या हुआ...*
*वो याद तो करता है ....*
*कौन कहता हैं की नेचर और सिग्नेचर कभी बदलता नही*
*बस एक चोट की ज़रूरत हैं*
*अगर ऊँगली पे लगी तो सिग्नेचर बदल जाएगा*
*और दिल पे लगी तो नेचर बदल जाएगा*
उठकर फिर खड़े हो जायेंगे, ठोकरों की क्या औकात है,
पर्वतों को भी पार कर जायेंगे, हमारे हौंसलों में वो बात है !!
कोई माल में खुश है तो कोई दाल में खुश है,
खुशनसीब है वो लोग जो हर हाल में खुश है !!
मैं क्या किसीको रास्ता दिखाउँगा,
मैं तो खुद ही भटक रहा हूँ मंजिल की तलाश में !!
किस्मत कितनी भी बुलंद क्यूँ ना हो,
मेहनत की चौखट से गुजरना ही पड़ता है !!
जो लोग वक्त पर पसीना नहीं बहाते,
वो बाद में आँसूं जरुर बहाते है !!
शिव की सुबह जो दिख जाये सूरत,
अपना तो पूरा दिन ही हो जाये खुबसूरत !!
मिलते रहा करो हमें किसी न किसी बहाने से,
रिश्ते मजबूत बनते है साथ दो पल बिताने से !!
मोहब्बत देखी मैंने जमाने भर के लोगों की,
जहाँ दाम कुछ ज्यादा हो वहाँ इन्सान बिकते है !!
कामयाबी के सफ़र में धुप बड़ी काम आयी,
छाँव अगर होती तो कबके सो गए होते !!
सफल रिश्तों का एक ही उसूल है,
बातें भूलिये जो फिजूल है !!
कड़वा सच
गरीब आदमी जमीन पर बैठ जाए तो वो जगह उसकी औकात कहलाती है और अगर कोई धनवान आदमी जमीन पर बैठ जाए तो ये उसका बड़पन कहलाता है।
माना कि औरों के मुकाबले कुछ ज्यादा पाया नही मैंने, पर खुश हूं कि स्वयं को गिराकर कुछ उठाया नही मैंने।
इंसानी दुनिया का दस्तूर भी क्या बताऊ यारों.
यहाँ तो अमीरी से रिश्ते बनाये जाते हैं.
और गरीबी से रिश्ते छिपाये जाते है.
इस दुनिया में अब ऐसे हीं इंसानियत निभाई जाती है
दूसरों को हँसाने के लिए नहीं , रुलाने के लिए मेहनत की जाती है.
अपनी जीत के लिए नहीं , दूसरों की हार के लिए मेहनत की जाती है.
यहाँ तो लोग जुदा हैं अपने ही वजूद से.
क्योंकि यहाँ लोग अपने आप से ज्यादा दुसरो में व्यस्त रहा करते हैं.
इस दुनिया में अब इंसानियत शर्मिंदा है
यहाँ तो अपनों को छोड़ गैरों से रिश्ते निभाए जाते हैं.
अपनापन और प्यार कोई मायने नहीं रखता यहाँ,
यहां तो बस पैसो से रूप दिखाए जाते हैं .
भावनाओं का कोई मोल नहीं है आज कल यहाँ,
यहां तो बस रूप रंग से रिश्ते बनाये जाते हैं.
यहाँ तो बस शर्तों पर रिश्ते बनाये जाते हैं.
रिश्तों का एहसास कहीं गुम सा हो गया है यहाँ.
प्यार का वजूद कहीं दफ़न सा हो गया है यहाँ.
यहाँ तो बस रिश्ते मतलब से निभाए जाते हैं.
अपनो से नहीं पैसों से रिश्तेदारी निभाई जाती है
इस दुनिया में इंसानियत अब ऐसे ही निभाई जाती है!
इस दुनिया में इंसानियत अब ऐसे ही निभाई जाती है!
जो बुराई पे उतर आये वो इन्सान बुरा है !!
*"मुझे तैरने दे या फिर बहना सिखा दे,*
*अपनी रजा में अब तू रहना सिखा दे,*
*मुझे शिकवा ना हो कभी भी किसी से,*
*ऐ कुदरत...मुझे सुख और दुख के पार जीना सिखा दे...*
*"मेरा मजहब तो ये दो हथेलियाँ बताती है...*
*जुड़े* *तो* *"पूजा"*
*खुले तो "दुआ" कहलाती हैं...*
*मैं खुश हूँ कि कोई मेरी...*
*बात तो करता है....*
*बुरा कहता है तो क्या हुआ...*
*वो याद तो करता है ....*
*कौन कहता हैं की नेचर और सिग्नेचर कभी बदलता नही*
*बस एक चोट की ज़रूरत हैं*
*अगर ऊँगली पे लगी तो सिग्नेचर बदल जाएगा*
*और दिल पे लगी तो नेचर बदल जाएगा*
उठकर फिर खड़े हो जायेंगे, ठोकरों की क्या औकात है,
पर्वतों को भी पार कर जायेंगे, हमारे हौंसलों में वो बात है !!
कोई माल में खुश है तो कोई दाल में खुश है,
खुशनसीब है वो लोग जो हर हाल में खुश है !!
मैं क्या किसीको रास्ता दिखाउँगा,
मैं तो खुद ही भटक रहा हूँ मंजिल की तलाश में !!
किस्मत कितनी भी बुलंद क्यूँ ना हो,
मेहनत की चौखट से गुजरना ही पड़ता है !!
जो लोग वक्त पर पसीना नहीं बहाते,
वो बाद में आँसूं जरुर बहाते है !!
शिव की सुबह जो दिख जाये सूरत,
अपना तो पूरा दिन ही हो जाये खुबसूरत !!
मिलते रहा करो हमें किसी न किसी बहाने से,
रिश्ते मजबूत बनते है साथ दो पल बिताने से !!
मोहब्बत देखी मैंने जमाने भर के लोगों की,
जहाँ दाम कुछ ज्यादा हो वहाँ इन्सान बिकते है !!
कामयाबी के सफ़र में धुप बड़ी काम आयी,
छाँव अगर होती तो कबके सो गए होते !!
सफल रिश्तों का एक ही उसूल है,
बातें भूलिये जो फिजूल है !!
कड़वा सच
गरीब आदमी जमीन पर बैठ जाए तो वो जगह उसकी औकात कहलाती है और अगर कोई धनवान आदमी जमीन पर बैठ जाए तो ये उसका बड़पन कहलाता है।
माना कि औरों के मुकाबले कुछ ज्यादा पाया नही मैंने, पर खुश हूं कि स्वयं को गिराकर कुछ उठाया नही मैंने।
इंसानी दुनिया का दस्तूर भी क्या बताऊ यारों.
यहाँ तो अमीरी से रिश्ते बनाये जाते हैं.
और गरीबी से रिश्ते छिपाये जाते है.
इस दुनिया में अब ऐसे हीं इंसानियत निभाई जाती है
दूसरों को हँसाने के लिए नहीं , रुलाने के लिए मेहनत की जाती है.
अपनी जीत के लिए नहीं , दूसरों की हार के लिए मेहनत की जाती है.
यहाँ तो लोग जुदा हैं अपने ही वजूद से.
क्योंकि यहाँ लोग अपने आप से ज्यादा दुसरो में व्यस्त रहा करते हैं.
इस दुनिया में अब इंसानियत शर्मिंदा है
यहाँ तो अपनों को छोड़ गैरों से रिश्ते निभाए जाते हैं.
अपनापन और प्यार कोई मायने नहीं रखता यहाँ,
यहां तो बस पैसो से रूप दिखाए जाते हैं .
भावनाओं का कोई मोल नहीं है आज कल यहाँ,
यहां तो बस रूप रंग से रिश्ते बनाये जाते हैं.
यहाँ तो बस शर्तों पर रिश्ते बनाये जाते हैं.
रिश्तों का एहसास कहीं गुम सा हो गया है यहाँ.
प्यार का वजूद कहीं दफ़न सा हो गया है यहाँ.
यहाँ तो बस रिश्ते मतलब से निभाए जाते हैं.
अपनो से नहीं पैसों से रिश्तेदारी निभाई जाती है
इस दुनिया में इंसानियत अब ऐसे ही निभाई जाती है!
इस दुनिया में इंसानियत अब ऐसे ही निभाई जाती है!