लेख

हमारा जीवन विचारों (Thoughts) से ही चलता है| हर विचार एक बीज की तरह होता है, जो हमारे नजरिया और व्यवहार रुपी पेड़ का निर्माण करता है|
कहानियों (Stories) का हमारे जीवन पर एक अद्भुत असर होता है| एक छोटी सी कहानी, हमारे विचारों में बड़ा बदलाव ला सकती है


क्या है खुश रहने का राज़

एक समय की बात है, एक गाँव में महान ऋषि रहते थे| लोग उनके पास अपनी कठिनाईयां लेकर आते थे और ऋषि उनका मार्गदर्शन करते थे| एक दिन एक व्यक्ति, ऋषि के पास आया और ऋषि से एक प्रश्न पूछा| उसने ऋषि से पूछा कि “गुरुदेव मैं यह जानना चाहता हुईं कि हमेशा खुश रहने का राज़ क्या है (What is the Secret of Happiness)?” ऋषि ने उससे कहा कि तुम मेरे साथ जंगल में चलो, मैं तुम्हे खुश रहने का राज़ (Secret of Happiness) बताता हूँ|
ऐसा कहकर ऋषि और वह व्यक्ति जंगल की तरफ चलने लगे| रास्ते में ऋषि ने एक बड़ा सा पत्थर उठाया और उस व्यक्ति को कह दिया कि इसे पकड़ो और चलो| उस व्यक्ति ने पत्थर को उठाया और वह ऋषि के साथ साथ जंगल की तरफ चलने लगा|
कुछ समय बाद उस व्यक्ति के हाथ में दर्द होने लगा लेकिन वह चुप रहा और चलता रहा| लेकिन जब चलते हुए बहुत समय बीत गया और उस व्यक्ति से दर्द सहा नहीं गया तो उसने ऋषि से कहा कि उसे दर्द हो रहा है| तो ऋषि ने कहा कि इस पत्थर को नीचे रख दो| पत्थर को नीचे रखने पर उस व्यक्ति को बड़ी राहत महसूस हुयी|
तभी ऋषि ने कहा – “यही है खुश रहने का राज़ (Secret of Happiness)”| व्यक्ति ने कहा – गुरुवर मैं समझा नहीं|  
तो ऋषि ने कहा-   जिस तरह इस पत्थर को एक मिनट तक हाथ में रखने पर थोडा सा दर्द होता है और अगर इसे एक घंटे तक हाथ में रखें तो थोडा ज्यादा दर्द होता है और अगर इसे और ज्यादा समय तक उठाये रखेंगे तो दर्द बढ़ता जायेगा उसी तरह दुखों के बोझ को जितने ज्यादा समय तक उठाये रखेंगे उतने ही ज्यादा हम दु:खी और निराश रहेंगे| यह हम पर निर्भर करता है कि हम दुखों के बोझ को एक मिनट तक उठाये रखते है या उसे जिंदगी भर| अगर तुम खुश रहना चाहते हो तो दु:ख रुपी पत्थर को जल्दी से जल्दी नीचे रखना सीख लो और हो सके तो उसे उठाओ ही नहीं



क्या आप जानते है, अगर एक मेंढक को ठंडे पानी के बर्तन में डाला जाए और उसके बाद पानी को धीरे धीरे गर्म किया जाए तो मेंढक पानी के तापमान के अनुसार अपने शरीर के तापमान को समायोजित या एडजस्ट कर लेता है| जैसे जैसे पानी का तापमान बढ़ता जाएगा वैसे वैसे मेंढक अपने शरीर के तापमान को भी पानी के तापमान के अनुसार एडजस्ट करता जाएगा|
लेकिन पानी के तापमान के एक तय सीमा से ऊपर हो जाने के बाद मेंढक अपने शरीर के तापमान को एडजस्ट करने में असमर्थ हो जाएगा| अब मेंढक स्वंय को पानी से बाहर निकालने की कोशिश करेगा लेकिन वह अपने आप को पानी से बाहर नहीं निकाल पाएगा|
वह पानी के बर्तन से एक छलांग में बाहर निकल सकता है लेकिन अब उसमें छलांग लगाने की शक्ति नहीं रहती क्योंकि उसने अपनी सारी शक्ति शरीर के तापमान को पानी के अनुसार एडजस्ट करने में लगा दी है| आखिर में वह तड़प तड़प मर जाता है|
 मेंढक की मौत  ??
ज्यादातर लोगों को यही लगता है कि मेंढक की मौत गर्म पानी के कारण होती है|
लेकिन सत्य यह है कि मेंढक की मौत सही समय पर पानी से बाहर न निकलने की वजह से होती है| अगर मेंढक शुरू में ही पानी से बाहर निकलने का प्रयास करता तो वह आसानी से बाहर निकल सकता था| 

हम इंसान है, मेंढक नहीं : Motivation

हमें भी परिस्थितियों और लोगों के अनुसार एडजस्ट करना पड़ता है | लेकिन हमें यह निर्णय लेना चाहिए कि हमें कब एडजस्ट करना है और कब परिस्थितियों से बाहर निकलना है|
अगर हम सही समय पर निर्णय नहीं ले पाए तो हमें परिस्थितियों एंव अन्य लोगों से वितीय, शारीरिक या भावनात्मक दुराचार का सामना करना पड़ेगा और हम धीरे-धीरे कमजोर होते जाएंगे| फिर कहीं ऐसा न हो कि हम इतने कमजोर पड़ जाएँ कि उस चक्रव्यूह से कभी निकल ही न पाएं|










खुश रहने वाले लोगों की 7 आदतें
 खुश रहना मनुष्य का जन्मजात स्वाभाव होता है. आखिर एक छोटा बच्चा अक्सर खुश क्यों रहता हैक्यों हम कहते हैं कि childhood days life के best days होते हैंक्योंकि हम पैदाईशी HAPPY होते हैंपर जैसे -जैसे हम बड़े होते हैं हमारा environment, हमरा समाज हमारे अन्दर impurity घोलना शुरू कर देता है….और धीरे-धीरे impurity का level इतना बढ़ जाता है कि happiness का natural state sadness के natural state में बदलने लगता है.पर ऐसा सबके साथ नहीं होता है दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं जो अपनी Happy रहने की natural state को बचाए रख पाते हैं और Life-time खुशहाल रहते हैं.
तो क्या ऐसे व्यक्ति हमेशा खुश रहते हैं? नहीं, औरों की तरह उनके जीवन में भी दुःख-सुख का आना जाना लगा रहता है, पर आम तौर पर ऐसे व्यक्ति व्यर्थ की चिंता में नहीं पड़ते और अक्सर हँसते -मुस्कुराते और खुश रहते हैं.
तो सवाल ये उठता है कि जब ये लोग खुश रह सकते हैं तो बाकी सब क्यों नहीं? आखिर उनकी ऐसी कौन सी आदतें हैं जो उन्हें दुनिया भर की टेंशन के बीच भी खुशहाल बनाये रखती हैं? आज इस लेख के जरिये मैं आपके साथ खुशहाल लोगों की 7 आदतें share करने जा रहा हूँ जो शायद आपको भी खुश रहने में मदद करें. तो आइये जानते हैं उन सात आदतों को :

Habit 1: खुश रहने वाले अच्छाई खोजते हैं बुराई नहीं :

Human beings की natural tendency होती है कि वो negativity को जल्दी catch करते हैं. Psychologists इस tendency को “Negativity bias” कहते हैं. अधिकतर लोग दूसरों में जो कमी होती है उसे जल्दी देख लेते हैं और अच्छाई की तरफ उतना ध्यान नहीं देते पर खुश रहने वाले तो हर एक चीज में, हर एक situation में अच्छाई खोजते हैं, वो ये मानते हैं कि जो होता है अच्छा होता है. किसी भी व्यक्ति में अच्छाई देखना बहुत आसान है,बस आपको खुद से एक प्रश्न करना है, कि, “ आखिर क्यों यह व्यक्ति अच्छा है?”, और यकीन जानिये आपका मस्तिष्क आपको ऐसी कई अनुभव और बातें गिना देगा की आप उस व्यक्ति में अच्छाई दिखने लगेगी.
एक बात और, आपको अच्छाई सिर्फ लोगों में ही नहीं खोजनी है, बल्कि हर एक situation में आपको positive रहना है और उसमे क्या अच्छा है ये देखना है. For example, अगर आप किसी job interview में select नहीं हुए तो आपको ये सोचना चाहिए कि शायद भागवान ने आपके लिए उससे भी अच्छी job रखी है जो आपको देर-सबेर मिलेगी, और आप किसी अनुभवी व्यक्ति से पूछ भी सकते हैं, वो भी आपको यही बताएगा.

Habit 2: खुश रहने वाले माफ़ करना जानते हैं और माफ़ी माँगना भी:

हर किसी का अपना -अपना ego होता है, जो जाने -अनजाने औरों द्वारा hurt हो सकता है. पर खुश रहने वाले छोटी -मोती बातों को दिल से नहीं लगाते वो माफ़ करना जानते हैं, सिर्फ दूसरों को नहीं बल्कि खुद को भी.
और इसके उलट यदि ऐसे लोगों से कोई गलती हो जाती है, तो वो माफ़ी मांगने से भी नहीं कतराते. वो जानते हैं कि व्यर्थ का ego उनकी life को complex बनाएगा इसलिए वो “Sorry” बोलने में कभी कंजूसी नहीं करते. मुझसे भी जब गलती होती है तो मैं कभी उसे सही ठहराने की कोशिश नहीं करता और उसे स्वीकार कर के क्षमा मांग लेता हूँ.
माफ़ करना और माफ़ी माँगना आपके दिमाग को हल्का करता है, आपको बेकार की उलझन और परेशान करने वाली thoughts से बचाता है, और as a result आप खुश रहते हैं.

Habit 3: खुश रहने वाले लोग अपने चारो तरफ एक strong support system develop करते हैं:

ये support system दो pillars पे टिका होता है Family and Friends ज़िन्दगी में खुश रहने के लिए F&F का बहुत बड़ा योगदान होता है. भले आपके पास दुनिया भर की दौलत हो, शोहरत हो लेकिन अगर F&F नहीं है तो आप ज्यादा समय तक खुश नहीं रह पायेंगे.
हो सकता है ये आपको बड़ी obvious सी बात लगे, ये लगे की आपके पास भी बड़े अच्छे दोस्त हैं और बहुत प्यार करने वाला परिवार है, लेकिन इस पर थोडा गंभीरता से सोचिये. आपके पास ऐसे कितने friends हैं, जिन्हें आप बिना किसी झिझक के रात के 3 बजे भी phone कर के उठा सकें या कभी भी financial help ले सकें?
Family and friends को कभी भी for granted नहीं लेना चाहिए, एक strong relationship बनाने के लिए आपको अपने हितों से ऊपर उठ कर देखना होता है., दूसरे की care करनी होती है, और उन्हें genuinely like करना होता है. जितना हो सके अपने रिश्तों को बेहतर बनाएं, छोटी -छोटी चीजें जैसे कि Birthday wish करना, बधाई देना, सच्ची प्रशंशा करना, मुस्कुराते हुए मिलना, गर्मजोशी से हाथ मिलाना, गले लगना आपके संबंधों को प्रगाढ़ बनता है. और जब आप ऐसा करते हैं तो बदले में आपको भी वही मिलता है और आपकी ज़िन्दगी को खुशहाल बनाता है.

Habit 4: खुश रहने वाले अपने मन का काम करते हैं या जो काम करते हैं उसमे मन लगाते हैं :

यदि आप अपने interest का, अपने मन का काम करते हैं तो definitely वो आपके Happiness Quotient को बढ़ाएगा, लेकिन ज्यादातर लोग इतने lucky नहीं होते, उन्हें ऐसी job या business में लगना पड़ता है जो उनके interest के हिसाब से नहीं होतीं. पर खुश रहने वाले लोग जो काम करते हैं उसी में अपना मन लगा लेते हैं, भले ही parallely वो अपना पसंदीदा काम पाने का प्रयास करते रहे.मैंने कई बार लोगों को जहाँ job करते हैं उस company की बुराई करते सुना है, अपने काम को दुनिया का सबसे बेकार काम कहते सुना है, ऐसा करना आपकी life को और भी difficult बनता है. खुश रहने वाले अपने काम की बुराई नहीं करते, वो उसके सकारात्मक पहलुओं पर focus करते हैं और उसे enjoy करते हैं.मगर, यहाँ मैं यह ज़रूर कहना चाहूँगा कि यदि हम दुनिया के सबसे खुशहाल लोगों को देखें तो वो वही लोग होंगे जो अपने मन का काम करते हैं, इसलिए यदि आप जो कर रहे हैं उसे enjoy करना, उससे सीखना अच्छी बात है पर Steve Jobs की कही बात भी याद रखिये:

Habit 5: खुश रहने वाले हर उस बात पर यकीन नहीं करते जो उनके दिमाग में आती हैं:

Scientists के अनुसार हमारा brain हर रोज़ 60,000 thoughts produce करता है, और एक आम आदमी के case में इनमे से अधिकतर thoughts negative होती हैं. अगर आप daily अपने brain को हज़ारों negative thoughts से feed करेंगे तो खुश रहना तो मुश्किल होगा ही.
इसलिए खुश रहने वाले व्यक्ति दिमाग में आ रहे बुरे विचारों को अधिक देर तक पनपने नहीं देते. वो benefit of doubt देना जानते हैं, वो जानते हैं कि हो सकता है जो वो सोच रहे हैं वो गलत हो, जिसे वो बुरा समझ रहे हैं वो अच्छा हो. ऐसा कर के इंसान relax हो जाता है, दरअसल हमारी सोच के हिसाब से brain में ऐसे chemical release होते हैं जो हमारे मूड को खुश या दुखी करते हैं.
जब आप नकारात्मक विचारों को सच मान लेते हैं तो आप का blood pressure बढ़ने लगता है और आप tense हो जाते हैं, वहीँ दूसरी तरफ जब आप उस पर doubt कर देते हैं तो आप अनजाने में ही brain को relaxed रहने का signal दे देते हैं.

Habit 6: खुश रहने वाले व्यक्ति अपने जीवन या काम को किसी बड़े उद्देश्य से जोड़ कर देखते हैं:

एक बार एक बूढी औरत कहीं से आ रही थी कि तभी उसने तीन मजदूरों को कोई ईमारत बनाते देखा. उसने पहले मजदूर से पूछा,” तुम क्या कर रहे हो?”, “ देखती नहीं मैं ईंटे ढो रहा हूँ.उसने जवाब दिया.
फिर वो दुसरे मजदूर के पास गयी और उससे भी वही प्रश्न किया,” तुम क्या कर रहे हो?”,” मैं अपने परिवार का पेट पालने के लिए मेहनत मजदूरी कर रहा हूँ?’ उत्तर आया.
फिर वह तीसरे मजदूर के पास गयी और पुनः वही प्रश्न किया,” तुम क्या कर रहे हो?,
उस व्यक्ति ने उत्साह के साथ उत्तर दिया, “ मैं इस शहर का सबसे भव्य मंदिर बना रहा हूँ
आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इन तीनों में से कौन सबसे अधिक खुश होगा!
दोस्तों, इस मजदूर की तरह ही खुश रहने वाले व्यक्ति अपने काम को किसी बड़े उद्देश्य से जोड़ कर देखते हैं

Habit 7: खुश रहने वाले व्यक्ति अपनी life में होने वाली चीजों के लिए खुद को जिम्मेदार मानते हैं:

खुश रहने वाले व्यक्ति responsibility लेना जानते हैं. अगर उनके साथ कुछ बुरा होता है तो वो इसका blame दूसरों पर नहीं लगाते, बल्कि खुद को इसके लिए जिम्मेदार मानते हैं.For example: अगर वो office के लिए late होते हैं तो traffic jam को नहीं कोसते बल्कि ये सोचते हैं कि थोडा पहले निकलना चाहिए था.
अपनी success का credit दूसरों को भले दे दें लेकिन अपनी failure के लिए खुद को ही जिम्मेदार मानें. जब आप अपने साथ होने वाली बुरी चीजों के लिए दूसरों को दोष देते हैं तो आपके अन्दर क्रोध आता है, पर जब आप खुद को जिम्मेदार मान लेते हैं तो आप थोडा disappoint होते हैं और फिर चीजों को सही करने के प्रयास में जुट जाते हैं. मैं खुद भी अपनी life में होने वाली हर एक अच्छी बुरी चीज के लिए खुद को जिम्मेदार मानता हूँ. ऐसा करने से मेरी energy दूसरों में fault खोजने की जगह खुद को improve करने में लगती है, और ultimately मेरी happiness को बढाती है.




पुरुष से पिता तक का सफर


पत्नी जब स्वयं माँ बनने का समाचार सुनाये और वो खबर सुन,
आँखों से खुशी के आँसू टप-टप गिरने लगे
तब … आदमी……
“पुरुष से पिता बनता है”

नर्स द्वारा कपडे में लिपटा कुछ पाउण्ड का दिया जीव,
जवाबदारी का प्रचण्ड बोझ का अहसास कराये
तब …..आदमी…..
“पुरुष से पिता बनता है”

रात-आधी रात, जागकर पत्नी के साथ, बेबी का डायपर बदलता है,
और बच्चे को कमर में उठा कर घूमता है,
उसे चुप कराता है, पत्नी को कहता है तू सो जा मैं इसे सुला दूँगा।
तब……….आदमी……
“पुरुष से, पिता बनता हैं”

मित्रों के साथ घूमना, पार्टी करना जब नीरस लगने लगे और
पैर घर की तरफ बरबस दौड़ लगाये
तब ……..आदमी……
“पुरुष से पिता बनता है”

“हमने कभी लाईन में खड़ा होना नहीं सीखा ” कह,
ब्लैक में टिकट लेने वाला,
बच्चे के स्कूल में दाखिले का फॉर्म लेने हेतु पूरी ईमानदारी से सुबह 4 बजे से लाईन में खड़ा होने लगे
तब …..आदमी….
“पुरुष से पिता बनता है”

जिसे सुबह उठाते साक्षात कुम्भकरण की याद आती हो
और वो जब रात को बार बार उठ कर ये देखने लगे कि मेरा हाथ या पैर कहीं
बच्चे के ऊपर तो नहीं आ गया एवम् सोने में पूरी सावधानी रखने लगे
तब …..आदमी…
“पुरुष से पिता बनता है”

असलियत में एक ही थप्पड़ से सामने वाले को चारो खाने चित करने वाला,
जब बच्चे के साथ झूठ-मूठ की लड़ाई में बच्चे की नाजुक थप्पड़ से जमीन पर गिरने लगे
तब…… आदमी……
“पुरुष से पिता बनता है”

खुद भले ही कम पढ़ा या अनपढ़ हो, काम से घर आकर बच्चों को
“पढ़ाई बराबर करना, होमवर्क पूरा किया या नहीं”
बड़ी ही गंभीरता से कहे
तब ….आदमी……
“पुरुष से पिता बनता है”

खुद ही की कल की मेहनत पर ऐश करने वाला,
अचानक बच्चों के आने वाले कल के लिए आज हालात से समझोता करने लगे
तब ….आदमी…..
“पुरुष से पिता बनता है”

ऑफिस का बॉस, कईयों को आदेश देने वाला,
स्कूल की पेरेंट्स मीटिंग में क्लास टीचर के सामने डरा सहमा सा,
कान में तेल डाला हो ऐसे उनके हर निर्देशों को ध्यान से सुनने लगे
तब ….आदमी……
“पुरुष से पिता बनता है”

खुद की पदोन्नति से भी ज्यादा बच्चे की स्कूल की सादी यूनिट टेस्ट की ज्यादा चिंता करने लगे
तब ….आदमी…….
“पुरुष से पिता बनता है”

खुद के जन्मदिन का उत्साह से ज्यादा बच्चों के जन्मदिन की पार्टी की तैयारी में मग्न रहे
तब …. आदमी…….
“पुरुष से पिता बनता है”

हमेशा अच्छी अच्छी गाड़ियों में घुमाने वाला, जब बच्चे की सायकल की सीट पकड़ कर
उसके पीछे भागने में खुश होने लगे
तब ……आदमी….
“पुरुष से पिता बनता है”

खुद ने देखी दुनिया, और खुद ने की अगणित भूले,
पर बच्चे न करे, इसलिये उन्हें टोकने की शुरुआत करे
तब …..आदमी……
“पुरुष से पिता बनता है”

बच्चों को कॉलेज में प्रवेश के लिए, किसी भी तरह पैसे ला कर
अथवा वर्चस्व वाले व्यक्ति के सामने दोनों हाथ जोड़े
तब …….आदमी…….
“पुरुष से पिता बनता है”

“आपका समय अलग था,
अब ज़माना बदल गया है,
आपको कुछ मालूम नहीं”
“This is Generation Gap”
ये शब्द खुद ने कभी बोला ये याद आये और मन ही मन बाबूजी को याद कर माफी माँगने लगे
तब ….आदमी……..
“पुरुष से पिता बनता है”

लड़का बाहर चला जाएगा, लड़की ससुराल, ये खबर होने के बावजूद,
उनके लिए सतत प्रयत्नशील रहे
तब …आदमी……
“पुरुष से पिता बनता है”

बच्चों को बड़ा करते करते कब बुढ़ापा आ गया, इस पर ध्यान ही नहीं जाता,
और जब ध्यान आता है तब उसका कोइ अर्थ नहीं रहता;
तब ……आदमी…….

“पुरुष से पिता बनता है” ।




आलोचना में हैं आपकी जिंदगी बदलने की ताकत।

   आलोचना कैसे करती है आपकी मदद?

आज का हमारा आर्टिकल उन सभी लोगों के लिए हैं जो आलोचना से नफरत करते हैं या उससे बचने के उपाय ढूंढते रहते हैं। हमने बचपन से criticism या आलोचना के बारे में negative बातें ही सुनी है- हमें किसी की आलोचना नहीं करनी चाहिए…आलोचना करना बुरी बात होती है… और ऐसी ही कई बातें /



पर आज मैं आपसे कह रहा हूँ कि –

आलोचना में हैं आपकी जिंदगी बदलने की ताकत।  

कैसे? ये हम इस आर्टिकल में आगे देखेंगे।

दोस्तों, ये एक सच है कि ज्यादातर लोग आलोचना सुनना पसंद नहीं करते लेकिन ये भी सच है कि बहुत से ऐसे लोग होते हैं जो आलोचना को दूसरों से बेहतर तरीके से हैंडल करते हैं। फिर चाहे आलोचना दोस्तों, टीचर, या परिवार के सदस्यों ने की हो… वे इसे पर्सनल अटैक मानने के बजाय अपनी गलतिया सुधारने और सीखने का एक मौका मानते हैं और अपनी ज़िन्दगी को बेहतर बनाते हैं।

आईये देखते हैं आलोचना कैसे हमारी जिंदगी और संवार सकती हैं?

गलतियाँ पता चलती हैं और सुधरने का मौका मिलता है:

ये human nature है कि हमें अपनी ही गलतियाँ जल्दी दिखाई नहीं देतीं, ऐसे में अगर कोई हमें अपनी गलतियों के बारे में बताये तो हमें उसका उपकार मानना चाहिए, उसपर क्रोधित नहीं होना चाहिए।

अक्सर अध्यापक, माता-पिता और दोस्त आपकी आलोचना करते हैं, इससे आप अपनी गलतियों में सुधार कर पाते हैं अगर कोई व्यक्ति गलतियों के बारे में बताये तो अवेयर हो जाएं और सुधार करें। दोस्तों बड़े-२ उद्यमी भी आलोचना के को अपने लिए बोनस पॉइंट मानते हैं जैसे की फ्लिपकार्ट के संस्थापक सचिन बंसल कहते हैं कि –

आम तौर पर आलोचना लाभदायक होती है।

शायद आपको जानकार आश्चर्य हो लेकिन इसी आलोचना के कारण ने रच दिया वाल्ट डिज्नी जैसा काल्पनिक संसार।

द वाल्ट डिज्नी कंपनी के निर्माता वाल्ट डिज्नी एक साधारण व्यक्ति के रूप में काम करते थे। उन्हें भी अपने जीवन में बहुत से उताव चढाव देखने पड़े। उनको एक समाचार पत्र के संपादक ने उन्हें यह कह कर निकाल दिया था कि उनके पास अच्छे आइडियाज और कल्पनाओ का अभाव है। अपनी इस आलोचना से वाल्ट घबराए नहीं, बल्कि खुद में इतना सुधार किया कि आगे चलकर वाल्ट डिज्नी कम्पनी के संस्थापक बनें और 13  हजार अरब रूपए  का साम्राज्य खड़ा कर दिया।

दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति बिल गेट्स का भी कहना है-

आपके  सबसे  असंतुष्ट  कस्टमर  आपके  सीखने  का  सबसे  बड़ा  श्रोत  हैं.

आप अच्छे श्रोता बन पाते हैं:

दोस्तों जब आप किसी व्यक्ति की आलोचना को धैर्य-पूर्वक सुनते हैं तो इससे आपको अच्छा श्रोता बनने में मदद मिलती हैं। इससे आप सामने वाले व्यक्ति के नज़रिए का विश्लेषण करते हैं और अलग-अलग एंगल से बात को समझने का प्रयास करते हैं इससे आपको कई नई बाते सीखने का मौका मिलता है। जो आपकी जिंदगी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

विनम्रता बढ़ती हैं:

रचनात्मक आलोचना के कारण आपको अपने अंदर झाँकने का मौका मिलता हैं, आपको महसूस होता है कि दुनिया में कितने प्रकार के विचार मौजूद हैं। इससे आप अपनी कमजोरियों के बारे में जान पाते हैं और उन्हें अपनी ताकत में बदलने का प्रयास शुरू कर देते हैं। दोस्तों जब कोई व्यक्ति आपके भले के लिए आलोचना करता हैं, तो आपके अंदर विनम्रता बढ़ने लगती है और आप positive बनते हैं।

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क्षमा करना सीखते हैं:

जब आप किसी व्यक्ति की आलोचना को सकारात्मक तरीके से लेते हैं, तो आप उसके बारे में बुरा विचार नहीं करते बल्कि आपके अंदर क्षमा का भाव पैदा होने लगता है। आप जानने लगते हैं कि आप से भी गलतियाँ हो सकती हैं…और आप ये भी जानने लगते हैं कि जिन्हें आप गलत समझते थे, दरअसल वे सही हो सकते हैं.. इसलिए आलोचना सुनने और स्वीकारने की प्रक्रिया में कहीं न कहीं आप दूसरों और खुद को क्षमा करना सीख जाते हैं।

“प्रत्येक व्यक्ति द्धारा की गई निंदा सुन लीजिए, पर अपना निर्णय सुरक्षित रख लीजिए।  -शेक्सपियर”

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चीजो को अलग तरह से देखते हैं:

कभी कभी हमें लगता हैं की हम जो भी कर रहे हैं वह बेस्ट है। हम अपने नज़रिए से ही चीजो देखने की कोशिश करते हैं। आलोचना से हमारा नजरिया बदल जाता है, और हम वो चीजें भी देख पाते हैं जिनके बारे में हमने सोचा भी नहीं था!


दोस्तों हेनरी फोर्ड को कौन नहीं जनता उन्हें भी अपनी जिंदगी में कई बार आलोचनाओ और विफलताओं से होकर गुजरना पड़ा। हेनरी फोर्ड ने ऑटोमोबाइल के बिजनेस में  कई बार मात खाई, लेकिन इसी शख्स ने आगे चलकर फोर्ड मोटर कंपनी की नींव रखी। फोर्ड ने ऑटोमोटिव इंडस्ट्री की सूरत बदलकर सिर्फ इसलिए रख दी की क्योकि उन्होंने अपने समकालीन समय के top competitors पर फोकस न करके अपने कस्टमर्स की सुनी, और उनके सुझाव और और आलोचनाओ से Mr.फोर्ड ने ऑटोमोबाइल्स वर्ल्ड में क्रांति ला दी और कारों को हर सामान्य इंसान तक पंहुचा दिया।

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रक्षात्मक बनने की आदत छूटेगी:

आलोचना को सकारात्मक तरीके से लेना सिखाता है कि खुद को सही साबित करने के लिए कभी रक्षात्मक नहीं बनना चाहिए। रक्षात्मक बनने के चक्कर में आप कुतर्क करते हैं, और लड़ाई कर बैठते हैं, जो आपके अंदर की कमजोरियों को सब के सामने दर्शाता है। बहुत अधिक defensive होने से धीरे-धीरे लोग आपसे काटने लगते हैं और आप उनके valuable feedback से हाथ धो बैठते हैं। वहीँ आलोचना को सही ढंग से लेने वाले व्यक्ति में डिफेंसिव बनने की आदत ख़त्म होती है और वो criticism को भी positively लेना सीख जाता है।

याद रखेंगे कि आप PERFECT नहीं हैं:

यदि हर समय लोग आपकी हाँ में हाँ मिलाते जाएं तो आपके अन्दर अभिमान आ सकता है, लेकिन अगर आपके आस-पास critics हैं, और आप अपनी आलोचना सुनना जानते हैं तो आप कभी भी हवा में नहीं उड़ पायेंगे। आप जान पायेंगे कि आप से भी गलतियाँ हो सकती हैं और आप perfect नहीं हैं।

किसी ने  सच ही कहा है-

लोगों के साथ आमतौर पर समस्या यही होती है, कि वे झूठी प्रशंसा के द्वारा बर्बाद हो जाना तो पसंद करते हैं, परन्तु वास्तविक आलोचना द्वारा संभल जाना नहीं।


चलिए हम ज्यादातर लोगों से हटकर आलोचना को negatively लेने की बजाये positively लेने का प्रयास करते हैं और आलोचनाओं के दम पर अपनी ज़िन्दगी बदलने का प्रयास करते हैं।




चावल का एक दाना



शोभित एक मेधावी छात्र था। उसने हाई स्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा में पूरे जिले में टॉप किया था। पर इस सफलता के बावजूद उसके माता-पिता उसे खुश नहीं थे। कारण था पढाई को लेकर उसका घमंड ओर अपने बड़ों से तमीज से बात न करना। वह अक्सर ही लोगों से ऊंची आवाज़ मे बात किया करता और अकारण ही उनका मजाक उड़ा देता। खैर दिन बीतते गए और देखते-देखते शोभित स्नातक भी हो गया।

स्नातक होने के बाद सोभित नौकरी की खोज में निकला| प्रतियोगी परीक्षा पास करने के बावजूद उसका इंटरव्यू में चयन नहीं हो पाता था| शोभित को लगा था कि अच्छे अंक के दम पर उसे आसानी से नौकरी मिल जायेगी पर ऐसा हो न सका| काफी प्रयास के बाद भी वो सफल ना हो सका| हर बार उसका घमंड, बात करने का तरीका इंटरव्यू लेने वाले को अखर जाता और वो उसे ना लेते| निरंतर मिल रही असफलता से शोभित हताश हो चुका था , पर अभी भी उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसे अपना व्यवहार बदलने की आवश्यता है।

एक दिन रस्ते में शोभित की मुलाकात अपने स्कूल के प्रिय अध्यापक से हो गयी| वह उन्हें बहुत मानता था ओर अध्यापक भी उससे बहुत स्नेह करते थे | सोभित ने अध्यापक को सारी बात बताई| चूँकि अध्यापक सोभित के वयवहार से परिचित थे, तो उन्होने कहा की कल तुम मेरे घर आना तब मैं तुम्हे इसका उपाय बताऊंगा|

शोभित अगले दिन मास्टर साहब के घर गया| मास्टर साहब घर पर चावल पका रहे थे| दोनों आपस में बात ही कर रहे थे की मास्टर साहब ने शोभित से कहा जाके देख के आओ की चावल पके की नहीं| शोभित अन्दर गया उसने अन्दर से ही कहा की सर चावल पक गए हैं, मैं गैस बंद कर देता हूँ| मास्टर साहब ने भी ऐसा ही करने को कहा|

अब सोभित और मास्टर साहब आमने सामने बैठे थे| मास्टर साहब शोभित की तरफ मुस्कुराते हर बोले –शोभित तुमने कैसे पता लगया की चावल पक गए हैं?

शोभित बोला ये तो बहुत आसान था| मैंने चावल का एक दाना उठाया और उसे चेक किया कि वो पका है कि नहीं ,वो पक चुका था तो मतलब चावल पक चुके हैं|


मास्टर जी गंभीर होते हुए बोले यही तुम्हारे असफल होने का कारण है|

शोभित उत्सुकता वश मास्टर जी की और देखने लगा|

मास्टर साहब समझाते हुए बोले की एक चावल के दाने ने पूरे चावल का हाल बयां कर दिया| सिर्फ एक चावल का दाना काफी है ये बताने को की अन्य चावल पके या नहीं| हो सकता है कुछ चावल न पके हों पर तुम उन्हें नहीं खोज सकते वो तो सिर्फ खाते वक्त ही अपना स्वाभाव बताएँगे|

इसी प्रकार मनुष्य कई गुणों से बना होता है, पढाई-लिखाई में अच्छा होना उन्ही गुणोँ में से एक है , पर इसके आलावा, अच्छा व्यवहार, बड़ों के प्रति सम्मान , छोटों की प्रति प्रेम , सकारात्मक दृष्टिकोण , ये भी मनुष्य के आवश्यक गुण हैं, और सिर्फ पढाई-लिखाई में अच्छा होना से कहीं ज्यादा ज़रुरी हैं।

तुमने अपना एक गुण तो पका लिया पर बाकियो की तऱफ ध्यान ही नहीं दिया। इसीलिए जब कोई इंटरव्यूवर तुम्हारा इंटरव्यू लेता है तो तुम उसे कहीं से पके और कहीं से कच्चे लगते हो , और अधपके चावलों की तरह ही कोई इस तरह के कैंडिडेट्स भी  पसंद नही करता।

शोभित को अपनी गलती का अहसास हो चुका था| वो अब मास्टर जी के यहाँ से नयी एनर्जी ले के जा रहा था|


तो दोस्तों हमारे जीवन में भी कोई न कोई बुराई होती है, जो हो सकता है हमें खुद नज़र न आती हो पर सामने वाला बुराई तुरंत भाप लेता है| अतः हमें निरंतर यह प्रयास करना चाहिए कि हमारे गुणों से बना चावल का एक-एक दाना अच्छी तरह से पका हो, ताकि कोई हमें कहीं से चखे उसे हमारे अन्दर पका हुआ दाना ही मिले।



Ek Achi Bat

एक जोकर ने लोगो को एक जोक सुनाया !
जोक सुनकर सब लोग बहुत {हसे} खुश हुए !
उसने वही जोक फिर सुनाया तो कम लोग हँसे !
उसने वही जोक फिर सुनाया तो कोई नहीं {हसे} खुश हुए !
फिर उसने एक बहुत प्यारी बात बोला !
अगर तुम एक बहुत प्यारी बात को लेकर 
बार बार खुश {हस} नहीं रह सकते तो 
फिर एक गम को लेकर बार बार क्यों 

{दुःख} रोते हो !!




Parenting Tips (परवरिश के कुछ सुझाव)


हर कोई चाहता हैं कि उसके बच्‍चे सबसे अच्‍छे हो, हर जगह उनका नाम हो, लेकिन ऐसा तभी हो सकता है जब आप उनमें ऐसे गुण पैदा करेंगे। यह तो सभी जानते हैं कि बच्‍चे माता-पिता का ही प्रतिनिधित्‍व करते है, और बच्चों की बेहतर परवरिश उनके बेहतर भविष्य को सुनिश्चित करती है। बच्चों की परवरिश के दौरान कुछ बातों को ध्यान में रखकर आप उनका बेहतर भविष्य सुनिश्चित कर सकते हैं।
स्‍वयं को बदलें

बच्‍चों को अच्‍छे संस्‍कार या उनसे किसी भी तरह की उम्‍मीद करने से पहले अपनी बुरी आदतों को बदलें, यानी जो आप बच्‍चों से चाहते हैं, पहले उसे स्‍वयं करके दिखाये। क्‍योंकि बच्‍चा वही करता है जो अपने आसपास देखता है। इसके लिये किताबों के साथ कुछ समय गुजारना, देर रात तक टीवी न देखना, चीजों को सही जगह पर रखना, बच्‍चों के समाने कभी भी झगड़ा न करना आदि जैसे कुछ अच्छी आदतों को खुद में विकसित करनी होगी।
सच्चा प्यार दें
अकसर लोग समझते हैं कि अपने बच्‍चों को प्‍यार करने का मतलब, उनकी हर मांग पूरी करना है। लेकिन अगर आप उनकी हर डिमांड को पूरा करते हैं तो यह आपकी सबसे बड़ी बेवकूफी हैं। अगर आप अपने बच्चे को प्यार करते हैं तो उसे वही दें जो लिये सही और जरूरी है।

जिद करने पर प्‍यार से समझाएं

बच्चो के नखरे दिखाने या किसी चीज के लिए जिद करने पर आमतौर पर आप उन्‍हें डांटते-फटकारने लगते हैं, लेकिन इसका असर बच्चों पर उल्टा पड़ता है। ऐसे में आपके जोर से चिल्‍लाने से बच्चा भी तेज आवाज में रोने व चिखने लगता है। इसलिए इस स्थिति में अपने बच्‍चों को शांत तरीके से समझाये कि वह जो कर रहा है वो गलत हो।
परवरिश में अनुशासन है जरूरी

अनुशासन के बिना परवरिश अधूरी होती है। लेकिन बच्‍चों को अनुशासित करना या मतलब बच्‍चों को डराना नहीं है। आपको अनुशासन और डर में अंतर पता होना चाहिए। कई पैरेंट बच्चों को अनुशासित करने के लिए उन्‍हें मारते पीटते हैं। लेकिन यह सही नहीं है। इससे बच्चा अनुशासित न होकर विद्रोही हो जाता है।
बातचीत बहुत जरूरी है

बच्‍चों के साथ किसी भी विषय पर खुलकर बात करें। उनके साथ हर खुशी और दुख को बांटें। ऐसा करने से बच्‍चे आपको और घर की परिस्थितियों को समझने लगेगें, और साथ ही आपके करीब रहेगा।
बच्‍चों से दोस्‍ती करें

अपने बच्‍चों पर खुद को थोपना छोड़ दें। उनके लीडर बनकर उनपर हुक्‍म चलाने की बजाय उनके अच्‍छे दोस्‍त बन जाये। ऐसा करने से बच्‍चे आपसे आसानी से और बेझिझक अपनी सारी बात को कर सके।
इच्‍छाओं को थोपे नहीं
अपनी इच्‍छाओं को बच्‍चों पर थोपे नहीं बल्कि वह जो बनना चाहते हैं उनको बनने दें। जरूरी नहीं कि आपने अपनी जिंदगी में जो किया आपका बच्चा भी वहीं करें। बल्कि अपने बच्‍चे को ऐसा कुछ करने के लिए प्रोत्‍साहित करें जिसके बारे में सोचने तक की हिम्मत जिंदगी में नहीं की हो। –

एक नारी को तब क्या करना चाहिये जब वह देर रात घर - सफर- लिफ्ट में अकेली हो !

1. एक नारी को तब क्या करना चाहिये जब वह देर रात में किसी उँची इमारत की लिफ़्ट में किसी अजनबी के साथ स्वयं को अकेला पाये ?
विशेषज्ञ का कहना है: जब आप लिफ़्ट में प्रवेश करें और आपको 13 वीं मंज़िल पर जाना हो, तो अपनी मंज़िल तक के सभी बटनों को दबा दें ! कोई भी व्यक्ति उस परिस्थिति में हमला नहीं कर सकता जब लिफ़्ट प्रत्येक मंजिल पर रुकती हो !


दैनिक जागरण पहचान कोलम में प्रकाशित



2. जब आप घर में अकेली हों और कोई अजनबी आप पर हमला करे तो क्या करें ? तुरन्त रसोईघर की ओर दौड़ जायें
विशेषज्ञ का कहना है: आप स्वयं ही जानती हैं कि रसोई में पिसी मिर्च या हल्दी कहाँ पर उपलब्ध है ! और कहाँ पर चक्की व प्लेट रखे हैं !यह सभी आपकी सुरक्षा के औज़ार का कार्य कर सकते हैं ! और भी नहीं तो प्लेट व बर्तनों को ज़ोर- जोर से फैंके भले ही टूटे !और चिल्लाना शुरु कर दो !स्मरण रखें कि शोरगुल ऐसे व्यक्तियों का सबसे बड़ा दुश्मन होता है ! वह अपने आप को पकड़ा जाना कभी भी पसंद नहीं करेगा !
3. रात में ऑटो या टैक्सी से सफ़र करते समय !
विशेषज्ञ का कहना है: ऑटो या टैक्सी में बैठते समय उसका नं० नोट करके अपने पारिवारिक सदस्यों या मित्र को मोबाईल पर उस भाषा में विवरण से तुरन्त सूचित करें जिसको कि ड्राइवर जानता हो ! मोबाइल पर यदि कोई बात नहीं हो पा रही हो या उत्तर न भी मिल रहा हो तो भी ऐसा ही प्रदर्शित करें कि आपकी बात हो रही है व गाड़ी का विवरण आपके परिवार/ मित्र को मिल चुका है ! . इससे ड्राईवर को आभास होगा कि उसकी गाड़ी का विवरण कोई व्यक्ति जानता है और यदि कोई दुस्साहस किया गया तो वह अविलम्ब पकड़ में आ जायेगा ! इस परिस्थिति में वह आपको सुरक्षित स्थिति में आपके घर पहुँचायेगा ! जिस व्यक्ति से ख़तरा होने की आशंका थी अब वह आपकी सुरक्षा का ध्यान रखेगा !
4. यदि ड्राईवर गाड़ी को उस गली/रास्ते पर मोड़ दे जहाँ जाना न हो और आपको महसूस हो कि आगे ख़तरा हो सकता है - तो क्या करें ?
विशेषज्ञ का कहना है कि आप अपने पर्स के हैंडल या अपने दुपट्टा/ चुनरी का प्रयोग उसकी गर्दन पर लपेट कर अपनी तरफ़ पीछे खींचती हैं तो सैकिण्डो में वह व्यक्ति असहाय व निर्बल हो जायेगा ! यदि आपके पास पर्स या दुपट्टा न भी हो तो भी आप न घबरायें ! आप उसकी क़मीज़ के काल़र को पीछे से पकड़ कर खींचेंगी तो शर्ट का जो बटन लगाया हुआ है वह भी वही काम करेगा और आपको अपने बचाव का मौक़ा मिल जायेगा !
5. यदि रात में कोई आपका पीछा करता है !
विशेषज्ञ का कहना है: किसी भी नज़दीकी खुली दुकान या घर में घुस कर उन्हें अपनी परेशानी बतायें ! यदि रात होने के कारण बन्द हों तो नज़दीक में एटीएम हो तो एटीएम बाक्स में घुस जायें क्योंकि वहाँ पर सीसीटीवी कैमरा लगे होते हैं ! पहचान उजागर होने के भय से किसी की भी आप पर वार करने की हिम्मत नहीं होगी !
आख़िरकार मानसिक रुप से जागरुक होना ही आपका आपके पास रहने वाला सबसे बड़ा हथियार सिद्ध होगा !
कृपया समस्त नारी शक्ति जिसका आपको ख़्याल है उन्हें न केवल बतायें बल्कि उन्हें जागरुक भी कीजिए ! अपनी नारी शक्ति की सुरक्षा के लिये ऐसा करना ! न केवल हम सभी का नैतिक उत्तरदायित्व है बल्कि कर्त्तव्य भी है !
प्रिय मित्रों इससे समस्त नारी शक्ति -अपनी माताश्री,बहन, पत्नी व महिला मित्रों को अवगत करावें !
आप सभी से विनम्र निवेदन की इस संदेश को महिला शक्ति की जानकारी में अवश्य लायें यह समस्त नारी शक्ति की सुरक्षा के लिये सहायक सिद्ध होगा ! ऐसा मेरा विश्वास है !